राहुल गांधी क्या ब्रिटिश नागरिक हैं, गृह मंत्रालय ने भेजा नोटिस

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनकी नागरिकता को लेकर की गई शिकायत पर नोटिस भेजकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है.

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शिकायत की थी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2009 में ख़ुद को ब्रिटेन का नागरिक बताया था.

कांग्रेस ने इस नोटिस को मुद्दों से ध्यान भटकाने की प्रधानमंत्री मोदी की कोशिश बताया है.

राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर पहले भी सवाल उठाए जाते रहे हैं. हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में ऐसी एक जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया था जिसमें उनकी नागरिकता के मामले की सीबीआई जाँच करवाने की माँग की गई थी.

तब सुप्रीम कोर्ट ने याचिका के साथ संलग्लन दस्तावेज़ों की सत्यता पर सत्यता और इन्हें हासिल करने के तरीक़े पर सवाल उठाए थे.

अपनी शिकायत में सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन में 2003 में रजिस्टर्ड एक कंपनी बैकऑप्स लिमिटेड के दस्तावेज़ों में अपनी नागरिकता ब्रिटिश बताई है और वो इस कंपनी के डायरेक्टर और सेक्रेटरी थे.

नोटिस में लिखा है कि सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी शिकायत में ये कहा है कि इस कंपनी के 2005 से 2006 तक के वार्षिक रिटर्न में उन्होंने अपनी नागरिकता ब्रिटिश लिखी है.

गृह मंत्रालय ने अब मंगलवार को राहुल गांधी को नोटिस कर इस बारे में 'तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करने के लिए' कहा है.

नोटिस का जवाब देने के लिए राहुल गांधी को 15 दिनों का वक़्त दिया गया है.

अपने पार्टी नेता की नागरिकता पर सवाल को ख़ारिज करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सारी दुनिया को पता है कि राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के पास बेरोज़गारी, खेती की दुर्दशा और काले धन के मुद्दे पर कोई जवाब नहीं है और महज़ ध्यान भटकाने के इरादे से वो सरकारी नोटिस के ज़रिए कहानी बुन रहे हैं.

क्या एक पार्टी की ओर से लड़ने से उनके अपने मुद्दे कमज़ोर पड़ जाएंगे और पार्टी की विचारधारा हावी हो जाएगी? इस सवाल पर तेज बहादुर कहते हैं, "हमारे मुद्दे पार्टी के भी मुद्दे हैं. पार्टी ने कहा है कि हमारी लड़ाई जवान, किसान, बेरोज़गार, मज़दूरों के लिए है. पार्टी ने जवानों की पेंशन का मुद्दा और शहीद के दर्जे का मुद्दा उठाया हुआ है. हमारे मुद्दे मिले हुए हैं और मैंने अपने मुद्दे भी जोड़े हैं."

समाजवादी पार्टी ने पहले शालिनी यादव को वाराणासी से उम्मीदवार बनाया था. अब उनकी जगह तेज बहादुर को उम्मीदवारी दी गई है.

क्या शालिनी यादव चुनाव अभियान में उनकी मदद करेंगी. इस सवाल पर वो कहते हैं, "उन्होंने कहा कि वो महिलाओं की ओर से मेरा समर्थन करेंगी और मेरा साथ देंगी. उनका भी पर्चा भरवाया गया है. ये (बीजेपी) बड़े शातिर लोग हैं, अड़चनें डालकर मेरा नामांकन भी रद्द करवा सकते हैं. मेरी उम्मीदवारी का फ़ैसला अध्यक्ष जी का है. कुछ सोच-समझकर ही उन्होंने मेरी उम्मीदवारी का मास्टर स्ट्रोक चला होगा."

तेज बहादुर का कहना है कि पार्टी की ओर से उम्मीदवारी मिलने के बाद उनका चुनाव अभियान मज़बूत हुआ है क्योंकि अब वो महागठबंधन की ओर से मज़बूत चुनाव चिह्न के साथ चुनाव लड़ेंगे.

कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय भी वाराणसी से मैदान में हैं. तेज बहादुर ने कांग्रेस को भी चिट्ठी लिखी है और सहयोग मांगा है.

वो कहते हैं, "अगर उनकी समझ में आया तो वो भी हमारे साथ आ जाएंगे. ऐसा होगा तो बहुत अच्छी बात होगी."

तेज बहादुर मूल रूप से हरयाणा के रहने वाले हैं और साल 2017 में उनका एक वीडियो वायरल हुआ था. तेज बहादुर उस समय बीएसएफ़ में कार्यरत थे. अपने वीडियो में उन्होंने जवानों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी.

वाराणसी से आकर चुनाव लड़ने के सवाल पर वो कहते हैं, "काशी काल भैरव का स्थान है. अगर मोदी यहां से जीत सकते हैं तो मुझे भी पूर्ण विश्वास है कि वाराणसी की जनता मुझे भी आशीर्वाद देगी. मैं भी पहली बार आया हूं"

वो कहते हैं, "जो वादे किए थे वो भी मोदी ने ही किए थे. उन्हीं भावनाओं में बहकर सेना में रहते हुए मैंने रोटी का सवाल उठाया था जिसके बदले मुझे बर्खास्तगी मिली. बाद में मेरे बेटे की भी मौत हो गई. देश में एक भी वादा उन्होंने पूरा किया नहीं. अब मैं सीधे प्रधानमंत्री के सामने सवाल पूछने आया हूं. मैं उनसे पूछूंगा कि 2014 में जो वादे किए थे उनमें से एक भी पूरा किया है क्या."

तेज बहादुर कहते हैं, "वाराणसी आने का मेरा सबसे पहला मक़सद है देश की सुरक्षा. वाराणसी की समस्याएं तो मेरा मुद्दा रहेंगी ही लेकिन मैं देश के मुद्दों पर भी बात करूंगा. देश को जो बाक़ी मुद्दे हैं- सुरक्षा का मुद्दा है, रोज़गार का मुद्दा है. उनपर भी बात होगी."

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